ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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डूबे है गमो मे हम, हमको भी वफा देना,
क्यो प्रेम छुपाया है हमको भी बता देना।

डूबें हैं शरारा में,दुख सह भी नही पाते,
हर दर्द मिटा देना रोतों को हँसा देना। 

रब आस न छोडेगे,विश्वास न छोडेगे,
आये हैं तेरे दर पर अब प्यार सदा देना।

चाहत को खुदा मानो,पूजा है तुम्हारी वो,
अल्फाज कहो मीठे, सबको ये बता देना।

क्यो भूल चुके उनको जो दर्द मे जीते हैं,
गर हो सके उनका भी कुछ दर्द मिटा देना।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़ 
 

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