ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Apr 27, 2024, 23:09 IST
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प्रेम आँखो से भी देखा कीजिये,
बात दिल की अब बताया कीजिए।
प्रेम आँखो मे जताना सीख ले,
इश्क का ऐसे न दावा कीजिये।
प्यार बाँटो भूल कर गम को सभी,
प्रेम से सबको मिलाया कीजिये।
प्यार देती माँ बड़ा हमको भी है,
कर्ज माँ का भी चुकाया कीजिये।
भूल जा तू अब अजीयत यार की,
बाहुबल पे खुद भरोसा कीजिये।
डूबता क्यो गम के सागर मे बड़ा,
मयकशी से खुद को रोका कीजिए।
खिल गया जब प्यार से आँचल तेरा,
बैठ कर आँगन सजाया कीजिये।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़