ग़ज़ल - रीता गुलाटी
May 17, 2024, 22:08 IST
अब सजी महफिल हँसाने के लिये,
जिंदगी है अब मुस्कुराने के लिये।
लग गयी है आँख तुमसे क्या करे
याद आते हो सताने के लिये।
छोड़कर हमको कहाँ तुम अब गये,
गम बचे बाकी सुनाने के लिये।
रह रहे हैं लोग तन्हा अब बड़े,
जी रहे बस अब झुकाने के लिये।
प्यार मे हमको तो रूसवाई मिली,
अब तो जीते गम भुलाने के लिये।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़