ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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छोड़कर बेटी चली खामोशियाँ रह जाएंगी,

याद मे तड़फेगी माँ बस सिसकियां रह जायेगी।

प्यास तेरे प्यार की यारा मुझे तड़फाती है,

तू न मुझको मिल सका तो सिसकियां रह जाएँगी।

छोड़कर गर तुम गये तो जी नही पायेगे हम,

हाथ मे फिर भी मेरे ये बेड़ियाँ रह जायेगी।

जान देकर हम चुकाये प्यार की कीमत सभी,

सोचते हैं हाय फिर क्यों दूरियां रह जाएँगी।

पास होकर दूर कितने अब वफा भी करना कभी,

फिर तुम्हारे दिल मे बाकी तल्खियां रह जाएँगी।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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