ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jun 10, 2024, 22:04 IST
बिना तुम्हारे न जी सकेगे करोगे कैसे जुदाई मुझसे,
बसे हो दिल मे चनाब जैसे,आ यार ले लो गवाही मुझसे।
आ पास बैठो, सुनो फसाना,हुआ ये प्रेम यार कैसे?
बढ़ी हुई है दिलो की धड़कन ये राज तुम भी छुपाती मुझसे।
लिखा लिया है हिना से हमने तेरा ही नाम लबो पे रहेगा,
हिना की सुर्खी पे लिख दिया तो लहू की लाली लड़ेगी मुझसे।
कमाल लगती लबों की लाली,खुशी वो देती हमे भी यारो,
है क्यो ये दूरी बिना वजह ही,सही न जाए उदासी मुझसे।
सहूं न तेरी जुदाई पल भर,यकीन मेरा सदा ही करना,
उड़ा न रंगत तू लब की अपने,कभी न होगी रिहाई मुझसे।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़