ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Aug 4, 2024, 23:22 IST
राज दिल का अब बताता भी नही।
पास मेरे यार आता भी नही।मतला..
प्यार हमसे वो बड़ा करता भले।
भूलकर वो अब बताता भी नही।
छोड़ कर हमको गया परदेश मे।
हक वो अब अपना जताता भी नही।
यार हमको दे रहे सब अब दुआ।
जिंदगी मे दर्द किस्सा भी नही।
कौन देता साथ दुखियों का भला।
मुफलिसी का दर्द जाता भी नही।
यार खोये जग में लखते-ए जिगर।
आज बूढों को मनाता भी नही।
फर्ज अपना भूल बैठे सुत भले।
आज की औलाद झूठा भी नही।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़