ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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हमने बाँधा है कफन सर,सीने पर गोली खाते हैं.
अपनी माँ भारती की खातिर,दुश्मन से भिड जाते हैं। 

अब तो सत्ता मे बैठे लगते सारे चोर उच्चके.
भरतें हैं जेबे अपनी, देश कंगाल कर जाते हैं। 

जीती जनता हाय दुखों मे,आ, नेता की बातो मे.
लूटे है भोली जनता, नेता सपने दिखाते हैं। 

पीडा कोई समझे ना, जीते कैसे वो अभावो मे.
होती इस मँहगाई मे, रिश्ते फीके बन जाते हैं। 

मीठी बातें वो करता है, छलता अपनी बातो से.
रोता है ये दिल बिचारा, जब वो हमको सताते हैं.

मीठा मीठा हमको पंछी गीत अपना सुनाते है.
तिनका तिनका लाकर पंछी अपना नीड बनाते है। 
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़ 
 

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