ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Sep 30, 2024, 22:10 IST
फैसला खुदा तेरा, तेरी ही अदालत है.
सजदा हम करे तेरा, तेरी ही इनायत है। .
प्यार से लबालब हम, प्यार मे हमें जीना,
प्यार तेरा लगता है, यार ये इबादत है।
मानते खुदा तुमको,कर रहे इबादत भी,
हो गयी दिवानी भी,साथ अब मसाफत है.।
खो गयी तन्हाई मे,डूबती उदासी मे,.
कब खबर तुम्हे होगी,अब लगे अजीयत है।
हाल दिल कहूँ कैसे,लाज भी मुझे आती.
दूर दूर रहकर भी करती *ऋतु मुहब्बत है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़