ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Nov 9, 2024, 22:05 IST
आशिकी भी अब नजर मे आ गयी,
प्यार कर बैठे,खबर मे आ गयी।
अब हिमाकत भी हुनर मे आ गयी,
जब बुराई हमसफर मे आ गयी।
उनकी बदनामी पे परदा पड़ गया,
मेरी रुसवाई नज़र में आ गयी।
प्यार कितना वो लुटाता जान पर,
सोचता क्यूँ खाब भर मे आ गयी।
आज नेता जो बताते शान से,
बात उनकी अब नजर मे आ गयी।
चाँद दरिया मे नहाने आ गया,
सारी रौनक मेरे घर मे आ गयी।
लौटना था आपका साहिल से बस,
मेरी कश्ती फिर भँवर मे आ गयी।
खूबसूरत सी लगे चाहत कशिश,
यार ये चाहत नजर मे आ गयी।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़