ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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यूँ बदला तो सितारे बोलतें हैं,
अमीरों के इशारे बोलते हैं।.

नही बोले जुबां से बात दिल की,
 मगर ये शेर सारे बोलते हैं। 

गरीबी मे सिले है होठ हर पल,
जला कर दिल वो अपने बोलते हैं।

लगे जन्नत भी हमको दिलरुबा सी,
और उसके नैन तीखे बोलते है। 

हुई बरबाद गहरी चाह में ऋतु,
मिरी तू जान सबसे बोलते हैं।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़ 
 

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