ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jan 13, 2025, 22:27 IST

मुहब्बत जगाएं नये साल मे सब।
खुशी हम मनाएं नये साल मे सब।
हँसे औ हँसाएं नये साल मे सब।
गिले भूल जाएं नये साल मे सब।
चलो आज मिलकर हँसे खिलखिलाऐ।
खुशी ही लुटाए नये साल मे सब।
कभी जिंदगी मे नही दुख को पाऐ।
चलो मुस्कुराऐ नये साल मे सब।
करे आज सजदा खुदा दर पे आकर।
यहां सर झुकाएं नये साल मे सब।
नजारे खुशी के हमें दिख रहे हैं।
नया कुछ सिखाएं नये साल मे सब।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़