ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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वतन के नाम पर हम जाँ लुटाऐ।
सभी मिल कर तिरंगा हम फहराएँ।

चलो मिलकर सभी दे अब सदाएँ,
उन्ही की याद मे दीपक जलाएँ। 

हो जण-गण-मण विजय हो,
स्वर गूजेगा चारो ही दिशाएँ।

लिखा क्या संविधान मे हमारे,
जिये देश हित मे ये बताएँ।

करे हम याद कुर्बानी दिये जो,
मरे जो देश हित मे जाँ गवाएँ।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़
 

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