गजल - ऋतु गुलाटी
Sun, 12 Mar 2023

क्यो आज भी नही है खुश लोग बेटियों से,
देते हैं आज ताना, लगते है आरियो से।
आ साथ हम भी बैठे, हो दूर साजिशें भी,
हालात भी सुधरते मिलजुल की कोशिशों से।
हल आज हम भी ढूँढे, बेकार कुछ भी कहना,
मसले नही सुलझते आपस की तल्खियों से।
करते हैं लोग सेवा दूजे की दिल लगाकर,
आओ करें स्वागत, उनका भी तालियों से।
कैसा ये वक्त आया, नफरत दिखे जहां में,
बनती नही बहन की देखो जी भाईयों से।
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़