ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी

 
pic

खो गया आज सब जवानी में।

प्यार पागल हुआ निशानी में।

याद  तेरी हमें सताती है।

रात बीते न अब कहानी में।

नाव चलने दो दरिया मे जमकर।

आग लगती है बहते पानी में।

जूझती वो गमो के सागर से

हौसला अब दिखे है रानी मे।

 इश्क रूठा सुने नही बातें

अश्क बहते अजी रवानी में।

- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली चंडीगढ़

Share this story