गजल - ऋतु गुलाटी 

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हमें हमनवां अब करीबी लगे,
हमारी सभी खुशनसीबी लगे।

पसारा है आँचल खुदा के ही दर,
मिले प्यार तेरा जाफरानी लगे।

दुआ कर रही हूँ खुदा से अजी,
मुझे जिंदगी खूब खिलती लगे।

भरा है उदासी से मेरा ये दिल,
खुदा की इनायत निराली लगे।

घिरा है गमो से अरे रात दिन,
उसे जिंदगी क्यो न भारी लगे।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब 
 

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