ग़ज़ल - सम्पदा ठाकुर

 
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आपसे दिल सदा वो लगाती रही।
देख कर प्यार वो पास आती रही।

जान बन कर रही जो सदा साथ में,  
दूर  होकर  हमें  बस  रुलाती रही।

साथ  देना  मगर  ना भुलाना सनम, 
हाथ  में  हाथ  हरदम सजाती रही।

राह  में  कोई अब  साथ आता नहीं ,
जुल्म  जालि़म  कह कर डराती रही।

दिल  किसी  दुखाना  नही  चाहिए,
जख्म  दे  जिंदगी  क्यू जलाती रही ।

जंग  की  बात  करते  रहे  रात भर 
जान फिर भी सनम पर लुटाती रही।

प्यार  तेरा   सदा  सम्पदा है सनम,
रात   दिन  बंदगी  ये  जताती  रही।
- सम्पदा ठाकुर,  मुंगेर , बिहार
 

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