होली है - सुनीता मिश्रा

 
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ये फरवरी नहीं ...
मार्च का महीना है जनाब!!
बसंत नहीं ...
फागुन का है आगाज!!
तन बदन में जागे है...
प्यार का एहसास!!
इसलिए गुलाब से नही ...
गुलाल से करना इजहार!!
आना हमारी गली... 
हम करेंगे तुम्हारा इंतजार !!
फिर रंगों में कर सराबोर..
देना शुभकामनाएं अपार!!
✍️सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर

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