कैसे जले रसोई मा चूल्हा - हरी राम यादव

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कैसे जले रसोई मा चूल्हा,
   यहि कमर तोड़ मंहगाई मा।
चार दिना कै जाए कमाई,
    गैस सिलेंडर की भरवाई मा।

गरीब गुरबा सब लेहे कनेक्शन,
     उज्जवला के उजलाई मा।
खुशी भईं सब दीदी बहिनी,
     मिले मुक्ति आंसु गिराई मा ।

मालामाल भए कैमरा राजा,
     फोटो की फटाफट खिंचाई मा।
न जाने केतना गर्द होइ गवा,
      विज्ञापन की करवाई मा ।

चस्का लगा सिलेंडर बाबू कै,
    कच्चा, पक्का, मड़ई माई मा।
जैसै तैसै झेलिन बटुआ बाबू,
    कुछ दिन मुंह देखायी मा ।

दाम बढ़ा सुरसा के मुंह जैसन,
   तब अब दिन कटै रुलायी मा।
मुंह सिकुडि गवा सिलैंडर कै,
     रोज रोज के दाम बढ़ायी मा।

चूल्हा चाचा चौचक होइ गये,
     लकड़ी से गोद भराई मा ।
 सांझे सारा सिवान दिख रहा,
     हरी धुंआ की लाइन बनायी मा।
- हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश
 

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