हरियाली तीज - मधु शुक्ला 

 
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सखिया चल झूलेंगें झूला,
आई है हरियाली तीज। 
खुशियाँ हर परिणीता के घर,
लाई है हरियाली तीज।

कर सोलह श्रृंगार सखीं मिल,
मधुर सलोने गायें गीत।
हर नारी के गृह उपवन में,
छाई है हरियाली तीज।

भोलेबाबा का आराधन,
माता गौरा जी के संग।
जो करता पाता मुराद वह,
समझाई हरियाली तीज।

वसुंधरा की हरी चुनरिया,
जन्मे जन मन में उत्साह।
नई उमंगें जन जीवन में,
उपजाई हरियाली तीज।

हरियाली समृद्धि की द्योतक,
देती खुशियों का संदेश।
इसी रीत को विकसित करके,
मुस्काई हरियाली तीज। 
-  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश 
 

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