हाय रे.... गर्मी - सुनील गुप्ता

 
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हाय रे 
रहा न जाए रे,
उफ़ ये गर्मी, जा रही है मुझे सताए  !
अब, जाऊँ कहाँ रे
तू ही बता, ऐ मनवा रे 
ले चल मुझको उस जहां में 
जहाँ हो न बिल्कुल गर्मी तपन.......,
और बहे जहाँ ताजगी भरी ठंडी हवाएं !! 1 !!

 हाय रे 
किसे सुनाऊँ दुःखड़ा रे,
टपक-टपक पसीने से जा रहा नहाए  !
अब, कोई तो बता दे 
क्या है इसका हल रे 
ले चल दूर मुझे, ऐ सखा,
यहाँ से सुदूर हिमगिरी वादियों में.....,
जहाँ सुकूँ से चलूँ, चैन की बंसी बजाए !! 2 !!

 हाय रे 
देखा ना सोचा रे,
रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, चले नए रिकॉर्ड बनाए  !
अब, हुए फेल सारे 
यहाँ पे एसी, कूलर, सिंफनी रे
ले चल प्रिय दूर यहाँ से,
किसी बर्फीले पहाड़ की चोटियों पे.....,
जहाँ चलूँ गाए गीत, झूमें मन को हर्षाए !! 3 !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
 

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