हिंदी ग़ज़ल - बी एस बिष्ट

 
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बड़ी मेहनत से पढ़ाते हैं हमारे गुरुजी,
हमें सब ज्ञान सिखाते हैं हमारे गुरुजी।

छुड़ा के हमको अँधेरों के घने जंगल से,
ज्ञान का दीप जलाते हैं हमारे गुरुजी।

पढ़ाके हमको शिष्टता का सदा पाठ नया,
अच्छा इंसान बनाते हैं हमारे गुरुजी।

हम बटोही हैं भटकते से किसी मंजिल के, 
इक नई राह  दिखाते हैं हमारे गुरुजी। 

यूं तो जीवन है सिर्फ कांटों में चलते रहना,
राह में फूल खिलाते  हैं हमारे गुरुजी।

हमको चाहिए कि सदा गुरु का सम्मान करें,
हमको सब योग्य बनाते हैं हमारे गुरुजी।
- बहादुर सिंह बिष्ट 'दीपक', चम्पावत, उत्तराखंड
 

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