हिंदी - जसवीर सिंह हलधर

 
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शब्द अर्थ हीन हुए , भाव से विहीन हुए ,
हिंदी भाषा हिन्द में ही ,शर्मसार हो रही ।

अंग्रेजी का बाजार ,हिंदी दीखती लाचार ,
साहित्य की साधना से ,लूटमार हो रही ।।

सोलह दिन मान श्राद , हिंदी को करें हैं याद ,
बाकी पूरे साल भाषा ,जार जार हो रही ।

सरकारी दफ्तरों में ,हिंदी का नहीं चलन,
राष्ट्र भाषा देश में ही  ,तार तार हो रही ।।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून  
 

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