हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Sep 15, 2024, 22:54 IST
शब्द अर्थ हीन हुए , भाव से विहीन हुए ,
हिंदी भाषा हिन्द में ही ,शर्मसार हो रही ।
अंग्रेजी का बाजार ,हिंदी दीखती लाचार ,
साहित्य की साधना से ,लूटमार हो रही ।।
सोलह दिन मान श्राद , हिंदी को करें हैं याद ,
बाकी पूरे साल भाषा ,जार जार हो रही ।
सरकारी दफ्तरों में ,हिंदी का नहीं चलन,
राष्ट्र भाषा देश में ही ,तार तार हो रही ।।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून