रंगों की होली - अशोक कुमार यादव

 
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रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।
कपाट खोले रहिबे न, मारहूँ पिचकारी।।

तोला बलाए बर, मैंय फाग गीत गाहूँ।
झूम-झूम के नाचबो, नगाड़ा बजाहूँ।।
तैंय पहिन के आबे ओ, लाली के साड़ी।
रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।।

लगाहूँ तोर गाल म, मयारू खूब गुलाल।
हिल-मिल के मनाबो, फागुन के तिहार।।
मन ल मोर भा गे हच, बन जा सुवारी।
रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।।

मोर मया के रंग, कभू छुटय नहीं गोरी।
कतको धोले पानी म, खेल के होली।।
गुलाबी देंह दिखे, परसा फूल चिन्हारी।
रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।।
- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

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