कैसे इंसान हैं हम ? - डॉ. फौजिया नसीम शाद
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utkarshexpress.com - इंसान किसे कहते हैं? इंसान की परिभाषा क्या है? स्वयं में महत्वपूर्ण प्रश्न है वास्तव में जिस इंसान में दूसरे इंसान के प्रति दया , करूणा का भाव नहीं, इंसानियत नहीं वो इंसान कहलाने के योग्य भी नहीं ,एक अच्छे इंसान में इंसानियत का होना ही उसके इंसान होने का सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण है एक अच्छा इंसान अपने ही लिए ही नहीं जीता बल्कि दूसरों के लिए भी जीता है, दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझता है हर किसी की सहायता करने के लिए सदैव तैयार रहता है केवल अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी आसानियां उत्पन्न करता है कमज़ोर, असहाय लोगों की सहायता करता है उनका सहारा बनता है वही अच्छा इंसान कहलाता है , ये तो रही एक अच्छे इंसान की विशेषताएं, लेकिन हम अच्छे इंसान की श्रेणी में कितना फिट बैठते हैं ये हमारे लिए जानना और समझना बहुत आवश्यक है ,कैसे हम एक अच्छा इंसान बनें, कैसे हम अपने को बेहतर से बेहतर बनायें कैसे हम इबादत की सार्थकता को अंजाम दें, जियें और दूसरों को जीने दें,कभी भी अपने ज़मीर अपने उसूलों का सौदा किसी क़ीमत और कैसी भी परिस्थिति में न करें और खुद से एक बार अवश्य सवाल करें कि कैसे इंसान हैं हम? आज के समय में ये सवाल स्वयं में बहुत मायने रखता है कि आज एक इंसान दूसरे इंसान की मौत पर ख़ुशी का इज़हार कर रहा है, आज नहीं तो कल मरना सभी को है अमर कोई नहीं है जाना सबको है एक न एक दिन, नाम में धर्म ढूंढना, कोई भी हो अच्छी मानसिकता, अच्छी परवरिश का प्रतीक नहीं। आज हमें हमारे इंसान होने पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है और ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि अच्छाई हो या बुराई सब हमारे समक्ष एक न एक दिन आ ही जाती है, आज हम जो बोयेंगे वही कल को कांटेंगे और ये हम सबकी मानसिकता पर निर्भर है कि हम कौन सी फसल काटना चाहते हैं नफऱत की या मुहब्बत की, और जिस दिल में दूसरे के दर्द का एहसास न हो इंसानियत न हो उसे इंसान नहीं कहा जा सकता ,आज हमें ईमानदारी के साथ अपने अंदर झांकने की ज़रूरत है हमारा रब भी हमारे अंदर ही होता है इसलिए बेईमानी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए बहरहाल हम जो अपने रब की सर्वश्रेष्ठ रचना हैं उसका इतना तो मान रख ही सकते हैं कि हम पूरी ईमानदारी के साथ एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करें।
कैसे बने एक अच्छा इंसान
अपने रब को खुश करने के लिए ज़रूरी नहीं आप धार्मिक ही हों आप अच्छा इंसान बन कर भी अपने रब को खुश कर सकते है ।
इंसान में नैतिकता का अभाव इंसान को हैवान की श्रेणी में खड़ा कर देता है, इसलिए ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप स्वयं को किस श्रेणी में रखना पसंद करते हैं ।
अच्छे किरदार का इंसान कभी किसी के किरदार पर उंगली नहीं उठाता क्योंकि यही उसके अच्छे किरदार की पहचान होती है। अगर आप वास्तव में अच्छे इंसान की श्रेणी में आना चाहते हैं तो कोशिश करें कि किसी की आंखों में आंसुओं की वजह आप न हों।
अगर आप वास्तव में अच्छे इंसान बनना चाहते हैं तो नकारात्मक मानसिकता रखने वाले लोगों से सदैव दूरी बना कर रहे, क्योंकि आवश्यक नहीं है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ दिखने वाले लोग मानसिक रूप से भी स्वस्थ हों।
जिस व्यक्ति के ह्रदय में दया, प्रेम व मानवता का भाव नहीं है उसे अपने इंसान होने पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है कि वो इंसान होकर भी इंसान क्यों नहीं है।
अच्छा इंसान बनने की अगर ख्वाहिश रखते हैं तो दूसरों के लिए सदैव आसानियां पैदा करें परेशानियां नहीं। (विभूति फीचर्स)