कैसे बचेगी मातृभाषा? - ऋषि प्रकाश कौशिक

 
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utkarshexpress.com - पिछले दस सालों से न तो नियमित और न ही कौशल के तहत भरे गए हिंदी के पद। हिंदी विषय के लिए न ही टीजीटी और न ही पीजीटी पदों के नियमित भर्ती का कोई विज्ञापन नहीं आया। एक बार साल 2022 में कौशल के तहत 1100 टीजीटी पदों के लिए भर्ती आई मगर इन पदों पर शॉर्टलिस्ट हुए उम्मीदवारों को अब तक जॉइनिंग नहीं दी गयी।
एक तरफ तो वर्तमान सरकार सभ्यता और संस्कृति बचने के भाषण देती है दूसरी तरफ हरियाणा राज्य  में उच्च और वरिष्ठ स्कूलों में हज़ारों पद मातृभाषा हिंदी के खाली है। ऐसे में आप सोच सकते है कि बच्चों को राज्य में कैसी शिक्षा मिल रही है? दूसरी और हरियाणा के हज़ारों योग्य उम्मीदवार कई बार एचटेट किये घर बैठे है जो हरियाणा को बेरोजगारी में नंबर एक पर सालों से बनाये हुए है। लेकिन सरकार पता नहीं क्यों इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही? पिछले दस सालों में हिंदी विषय के लिए न ही टीजीटी और न ही पीजीटी पदों के नियमित भर्ती का कोई विज्ञापन नहीं आया। एक बार साल 2022 में  कौशल के तहत 1100 टीजीटी पदों के लिए भर्ती आई। मगर इन पदों पर शॉर्टलिस्ट हुए उम्मीदवारों को अब तक जॉइनिंग नहीं दी गयी।
 हरियाणा कौशल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप मखीजा से इस बारे बात हुए तो उन्होंने ये कहकर बात टाल दी कि प्रोसेस चल रही है। लेकिन ये प्रोसेस दो साल से चल रही है पता नहीं कब खत्म होगी। जब आप स्कूलों  में मातृभाषा के पदों की रिक्तियां नहीं भर सकते तो उस राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह स्वाभाविक है। विद्यार्थियों को मातृभाषा में शिक्षा देना मनोविज्ञान और व्यावहारिक रूप से वांछनीय है , क्योंकि, विद्यालय आने पर बच्चे यदि अपनी भाषा में पढ़ते हैं, तो वे विद्यालय में आत्मीयता का अनुभव करने लगते हैं और यदि उन्हें सब कुछ उन्हीं की भाषा में पढ़ाया जाता है, तो उनके लिए सारी चीजों को समझना बेहद आसान हो जाता है।
-ऋषि प्रकाश कौशिक प्रधान सम्पादक, भारत सारथी, ए-77, सूर्य विहार, सेक्टर-4, गुरूग्राम, हरियाणा।

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