हूं हवा का झोंका - सुनील गुप्ता
हूं हवा का एक झोंका
ले उडूंगा संग साथ तुझे !
कब तक खैर मनाएगी.......,
दूर सुदूर ले जाऊंगा तुझे !!1!!
कह नहीं सकता कब आऊंगा
पर, आऊंगा अवश्य एक बार !
कहां तलक ले जाऊंगा......,
है इसका नहीं तुझे इल्म यार !!2!!
हो बारिश या फिर तूफान
है मेरी गति अति न्यारी !
कैसे बच पाएगी यहां पर......,
जान है तू मेरी प्यारी !!3!!
चलें हवाएं यहां जब-तब
और बरसे हैं मेघ जमकर !
मैं आऊंगा बनकर झोंका.....,
और कर जाऊंगा तुझे तरबतर !!4!!
मुझसे बचकर कहां छिपोगी
क्या छिप पाओगी घर अंदर !
मैं हूं एक मस्ताना दीवाना......,
ढूंढ लाऊंगा कहीं से भी बाहर !!5!!
बैठा जब तक शांत यहां पर
होए भान ना किसी को मेरा !
मैं जब चलता अपनी चाल.....,
दूर-दूर तक राज होता मेरा !!6!!
हूं अपनी मर्ज़ी का मालिक
चलता हूं मौज़ मस्ती में !
चलें सभी होकर नतमस्तक....,
दखल ना दें मेरी राहों में !!7!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान