मैं ही राम, हूँ मैं कृष्ण - सुनील गुप्ता

 
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मैं ही राम
हूँ मैं कृष्ण
मैं ही तेरा सच्चा मित्र प्रिय  !
कहाँ ढूंढता, रहा तू मुझको.....,
मैं तो बसता तेरे ही हिय !!1!!

मैं ही सुदामा
हूँ मैं राधा
मैं ही तेरा प्रभु विधाता एक  !
तू चाहे जिसको भी पूजे.....,
मिलें तुझे यहाँ सदा फल नेक !!2!!

मैं ही हनुमंत
हूँ मैं शंकरसुवन 
है सेवा ही मेरा परम लक्ष्य  !
बस करता चल यहाँ पे परमार्थ .....,
और पकड़े रहना सदैव ही सत्य  !!3!!

मैं ही परा 
हूँ मैं अपरा
और तीनों लोकों का हूँ स्वामी  !
चाहें तू पूजे धरा जल अग्नि आकाश...,
हूँ मैं सभी में समाया, बसा अन्तर्यामी!!4!!

मैं हूँ अनंत
हूँ मैं आनंद
मैं ही सत चित्त संपूर्ण आनंद  !
रहा तू कहाँ, यहाँ से वहाँ भटकता....,
बस लगाले ध्यान, पा लेगा परमानंद !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
 

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