अधूरापन भाये हमें - सविता सिंह
Mar 19, 2024, 23:24 IST
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बना ली है जब हमने दूरी,
फिर आड़े ना आए मजबूरी।
सामने ना वह आए कभी,
चाहे कितनी भी रहे जरूरी।
सम्पूर्णता यानि फिर ठहराव,
भाये मुझको रहूं अधूरी।
ललक रहे हमेशा कायम,
चाह नहीं हो जाए पूरी।
नदी सी ही प्रवाह रहे,
मंजूर नहीं हो जाऊं खारी।
- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर