जनतंत्र में प्यारे जनता की जय बोल - हरी राम यादव

 
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मनवा तुम सर्वोपरि न समझ स्वयं को,
न सबसे मजबूत समझ अपनी खोल।
यह नासमझ तेरी और यह दर्प तेरा ,
जनतंत्र में प्यारे जनता की जय बोल ।
जनतंत्र में प्यारे जनता की जय बोल ,
घोल सबकी उन्नति की दवात में स्याही।
लिख वह इबारत तुम कलम से अपनी,
जो इबारत सकल समाज की हमराही ।
जाति धर्म के भेदी चश्मे का वह शीशा,
हरी तोड़ फेंक बना है जो तेरा पथ वाही।
संभल, समझ, संकल्प कर मन में अपने, 
चल सत्य संग मिलेगी राह तुझे मनचाही।।
 - हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश  

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