कजरा मोहब्बत वाला - डॉ.मुकेश कबीर

 
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Utkarshexpress.com - संगीतकार ओपी नैयर जी को बेशक उन तीन संगीतकारों में शामिल किया जा सकता है जिनके जैसा संगीतकार उनसे पहले और बाद में कोई नही हुआ,वैसे तो सभी बेजोड़ होते हैं लेकिन मदन मोहन आर.डी बर्मन और ओ.पी.नैयर यह अपनी तरह के अकेले ही  संगीतकार रहे। हालांकि गुणीजनों की जमात में  ओपी को मदन मोहन और आरडी जैसा सम्मान  नहीं मिला लेकिन पब्लिक ने ओपी को ऐसा सर पर बैठाया कि वो सबसे महंगे संगीतकार बन गए और एक लाख की फीस लेने वाले पहले संगीतकार हुए।असल में वो इसके हकदार थे भी क्योंकि फिल्म में जनता की पसंद ही सब कुछ है और अपने चुलबुले और खाटी संगीत के कारण ओपी बिल्कुल घर जैसे लगे इसलिए गांव गांव तक खूंटा गाढ़ने में सफल रहे। ओ पी नैय्यर संगीत में अपने साथ पंजाब लेकर आए थे और फिर उन्हे मोहम्मद रफी  जैसे जादूगर और आशा भोंसले जैसी खनकदार गायिका का साथ मिल गया जिन्होंने  ओपी की आत्मा को पूरी तरह सुरों में ढाल दिया तो उनका संगीत जिंदा संगीत हो गया। तब हिंदुस्तान भी ऐसा ही जिंदा देश था,अल्हड़ता,फाका मस्ती और निश्छल प्रेम हमारा बायोडेटा था इसीलिए जब अपनी ही अभिव्यक्ति संगीत में मिली तो लोग झूम गए।मुझे ओपी प्रेम के कारण कई बार संगीत मर्मज्ञों की आलोचना झेलना पड़ती है तब मेरे पास एक ही जवाब होता है कि ओपी को ए.सी हॉल में समझना कुछ मुश्किल होगा लेकिन उनका जादू वो लोग जान सकते हैं जिन्होंने कस्बाई बसों में सफर किया हो या बस से कभी बारातों में गए हों,सिंगल सड़क हो, बस खेतों के बीच से गुजरी हो और गाने चले हों उड़े जब जब जुल्फें तेरी,एक परदेसी मेरा दिल ले गया और लेके पहला पहला प्यार या कजरा मुहब्बत वाला... हालांकि अब न बस वाली बारातें रहीं,ना हिचकोले रहे ना वो अल्हड़ता रही।आज नया दौर है लेकिन ओपी के लिए इतना तो कह ही सकते हैं  कि तारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हे बनाया।(विनायक फीचर्स) लेखक संगीत मर्मज्ञ एवं कवि हैं।

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