कविता - अशोक कुमार यादव

 
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शब्द ही तो बाण है जो कर दे किसी को घायल।
सुन किसी के शब्द को कोई हो जाता है कायल।।
कह दे कोई ढाई अक्षर का शब्द हो जाता है प्यार।
शब्द ना मिले ना ही मन मिले तो होता है इंकार।।
मधुर शब्दों से बन जाता है किसी का बिगड़े काम।
एक शब्द से ही जग में हो जाता है किसी का नाम।।
शब्द जाल फैला कवि करता है कविता की रचना।
कल्पनाओं की उड़ान भर दिन में देखता है सपना।।
शब्दों से ही शांति, धन, यश और मिलता है सम्मान।
शब्दों से ही द्वेष,युद्ध,सर्वनाश और होता है अपमान।।
प्रकृति की आकर्षक शब्द ध्वनि मुग्ध करती भरपूर।
वृक्षों की कलियाँ खिल जाती है बीज होते हैं अंकुर।।
शब्दों से ही नाटक,कहानी,गीत,संगीत और धुन बने।
शब्द ही काट खाता है शरीर को जब शब्द घुन लगे।।
रही ओम शब्द ध्वनियाँ देव की सत्ता ब्रह्मांड में।
जन्म लेकर मर रहे मानव जले शब्द अग्निकांड में।।
- अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़

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