कविता - सविता सिंह

 
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सौ प्रतिशत मैं हूँ तुम्हारी 
कोई और भी है इस मन में, 
जिस ने दी है यह साँसे मुझको 
वह भी शामिल इस धड़कन में|
बेशक मेरा प्यार हो तुम 
पर उनकी तस्वीर बसती नयन में, 
तेरे बिन ना रह पाऊँ एक पल भी 
गुजरा बचपन उनकी आंचल में| 
बाबुल के आँगन में पली-बढ़ी 
तेरे आँगन की तुलसी मैं, 
मेरा आने वाला हर पल तू 
उनका गुजरा हुआ कल मैं|
कितने हिस्से किये इस दिल के 
माता-पिता भाई-बहन बच्चे, 
सौंपा पिता ने जब मुझे तुझको 
जान बन गए तुम इस दिल के| 
सौ प्रतिशत हूँ तुम्हारी 
पर कोई और भी है इस मन में, 
जिसने दिए सांसे मुझको 
वह भी शामिल धड़कन में|
- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

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