चिट्ठी (बाल कविता) - डॉ.सत्यवान सौरभ

 
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चिट्ठी जब-जब आती है,
अलग सूचना लाती है।

चिट्ठी में सुख दुःख की बातें,
प्यार भरी इसमें सौगातें।
जहाज़, रेल, बस, नाव से,
मीलों तय कर आती है।
चिट्ठी जब-जब आती है।।

आता डाकिया घर के द्वार,
भरकर लिफ़ाफ़े में प्यार।
छोटे से कागज़ में लिपटी,
सन्देश नया सुनाती है।
चिट्ठी जब-जब आती है।।

चिट्ठी एक सुन्दर उपहार,
जोड़े सबके दिल के तार।
करके दुनिया भर की सैर,
बिना पैर चली आती है।
चिट्ठी जब-जब आती है।।

चिट्ठी में फरमाईश है,
रिश्तों की आजमाईश है।
हाल चाल की बात पूछती,
प्रेम भाव सिखलाती है।
चिट्ठी जब-जब आती है।।
-डॉ. सत्यवान सौरभ
(बाल काव्य संग्रह " प्रज्ञान " से साभार।)
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, 
बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा
 

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