जीवन एक सफर - राजेश कुमार झा

 
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जीवन एक सफर है,और मौत  है उसकी मंजिल,
थोड़ी खुशियां है थोड़े गम है सुख दुख से सजी है महफिल।
कोई आता है कोई जाता है यही सबकी कहानी है,
क्या बताऊं दोस्तो कितनी ये छोटी सी ये जिंदगानी है।
यह हर डगर डगर पर कांटे जिन्हे हमारे अपने ही बिछाते है,
कहने तो यहां सब रिश्ते नाते जिन्हे लोग मतलब के लिए बनाते है।
ऐसे ही उतार चढ़ाव से होती जिंदगी की बसर है,
जीवन एक सफर है और मौत उसकी मंजिल है।

न जाने वक्त ऐसी ने क्या करवट बदली कि,
लोग अपनो से तो ठीक खुद से बेगाने हो गए।
जिनसे रोज मिलते है खुशी खुशी अब वो सब अनजाने हो गए,
जीवन एक नदी की बहती धारा है जिसमे कोई मुहाने है।
जिसके जीवन रूपी नदी में तैरना आ गया,
उसने किनारा पा लिया जीवन कैसे जीना है जीना उसके आ गया।
यही जीवन के सफर का सार है,
कर्तव्य जिम्मेदारी मानवता इंसानियत से जीवन में बहार है।
 आओ हम अपने जीवन के सफर को इतना यादगार बनादे,
 की हर याद करने वाले के हम नाज हो।
चार दिन की जिंदगानी है जिंदगी हसीं खुशी बितानी है,
ये दुनिया बस किराए का घर है जीवन एक सफर है जीवन एक सफर है।।
- राजेश कुमार झा, बीना,  मध्य प्रदेश
 

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