मेरी कलम से - कमल धमीजा
Jul 14, 2024, 23:14 IST
हज़ारो ग़म छुपाकर भी तुम्हें हम याद करते है,
मुझे यूँ आज़माने से तुम्हें क्या फायदा होगा।
दर्द हिम्मत पर निचोड़ा तब कहीं रस्ते खुले,
आप माने या न माने जिंदगी उत्साह की।
हम झरोखों में खड़े हैं आपका दीदार हो,
राह उल्फ़त में मिरी पूरी ही तैयारी हुई।
तुम्हारी राह में ऑंखें बिछायें हम 'कमल' बैठें,
कहाँ हो पास आ जाओ सनम दिन ख़ास करते हैं।
- कमल धमीजा, फरीदाबाद, हरियाणा