गीत (दोहा छंद) - मधु शुक्ला

 
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व्यापक  सीमा  झूठ  की, लूट  रही संसार।
अति आकुल ईमान है, पुलकित भ्रष्टाचार।।

वादे  कर  के  मुकरना, नहीं  शर्म  की  बात।
राजनीति का प्रिय शगल,आज हुआ है घात।।
वचनबद्धता  से  नहीं, रहा  किसी  को  प्यार......... ।

सिसक रही है योग्यता, बढ़ा जाति का रोग।
आरक्षण  को  पालकर, खुश हैं नेता लोग।।
साधक कुर्सी के हरे, हैं मौलिक अधिकार............ ।

राज तंत्र  करता  रहे,  लोकतंत्र  पर  वार।
बलशाली अति हो गया, आज झूठ हथियार।।
मतदाता यदि चाह लें, सच  का  हो  उद्धार........ ।
 – मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश 
 

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