गीत ( गुलमोहर) - मधु शुक्ला
Feb 12, 2024, 22:43 IST
पुष्प मनोहर गुलमोहर का, प्रेम तराने गाता है,
इंतजार कर के बसंत का, अपनी प्रीति निभाता है।
प्रीति रंग से प्यारा जग में, रंग न कोई मिल पाता,
नेह रंग जो भी अपनाता , भाग्यवान वह बन जाता।
गुलमोहर का वृक्ष सभी को, बात यही समझाता है..... ।
छाँव जगत को देने वाला, हर्षित गुलमोहर रहता,
ममता,करुणा,त्याग,क्षमा की,महिमा हमसे वह कहता।
बिखरा कर अनुराग रंग यह, हमको प्रेम सिखाता है..... ।
प्रेम खुशी लाता जीवन में , मेल उमंगों को लाता,
नहीं समझता यह रहस्य जो, खोकर खुशियाँ पछताता।
प्रेम जगाये अपनेपन को, गुलमोहर बतलाता है....... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश