गीत ( गुलमोहर) - मधु शुक्ला

 
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पुष्प  मनोहर  गुलमोहर  का,  प्रेम तराने गाता है,
इंतजार कर के बसंत का, अपनी प्रीति निभाता है।

प्रीति रंग से प्यारा जग में, रंग न कोई मिल पाता,
नेह रंग जो भी अपनाता , भाग्यवान वह बन जाता।
गुलमोहर का वृक्ष सभी को, बात यही समझाता है..... ।

छाँव  जगत  को  देने  वाला,  हर्षित  गुलमोहर  रहता,
ममता,करुणा,त्याग,क्षमा की,महिमा हमसे वह कहता।
बिखरा कर अनुराग रंग यह, हमको प्रेम सिखाता है..... ।

प्रेम  खुशी  लाता  जीवन  में ,  मेल  उमंगों  को  लाता,
नहीं समझता यह रहस्य जो, खोकर खुशियाँ पछताता।
प्रेम जगाये अपनेपन को, गुलमोहर बतलाता है....... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश 
 

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