गीत -  जसवीर सिंह हलधर

 
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जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी होली की ।
भाई चारा सिखलाने की रीति पुरानी होली की ।।

केसर घाटी सुलग रही थी पिछले सत्तर सालों से ।
कश्मीरी छुटकारा पाए आतंकी चंडालों से ।
हटी तीन सौ सत्तर धारा जीत सुहानी  होली की ।।
जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी की ।।1

देश प्रेम का नाटक दिखता  कुर्सी का है राग यहां ।
नेता जी वोटो की खातिर खेल रहे है फाग यहां ।
सभी दलों ने अपनी अपनी चादर तानी होली की ।।
जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी होली की ।।2

बोतल में तेजाब भरा है रंगों में बारूद घुला ।
आप पार्टी के नेताओं का अब देखो राज खुला ।
राजनीति के रंग दिखाती खींचा तानी होली की ।।
जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी होली की ।।3

राम लला पे हुआ फैसला सबने उसको अपनाया ।
विश्व गुरु होने का दावा फिर भारत ने दोहराया ।
हमने दुनिया को सौंपी है खास निशानी होली की ।।
जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी होली की ।।4

ऐसे रंग अबीर लगाओ मज़हब का उन्माद मिटे ।
हों संकल्प राष्ट्र के हित में अलगावी अवसाद मिटे ।
"हलधर" हो पहचान तिरंगी हिंदुस्तानी होली की ।।
जीत गए प्रह्लाद आग से कथा रूहानी होली की ।।5
-  जसवीर सिंह हलधर, देहरादून
 

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