गीत - ममता सिंह राठौर

 
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मोहिनी मुरलिया बाजे है सांवरिया,
मिश्री सी  मन में घोले है,
कान्हा-कान्हा बोले है, 
मुरली की  धुन पे जिया डोले है। 
लागे सांवरिया कुछ बोले हैं
मीठा-मीठा मन में घोलें हैं
सांवरे सलोने बड़े भोले हैं। 

ठंडी-ठंडी मन में हिलोरे हैं,
मथनी से जैसे कुछ बिलोरे है,
रोम -रोम कान्हा कान्हा बोले है, 
सांवरे सलोने रंग घोले हैं। 
नैनों के द्वार हम न खोलें हैं,
सावरी चुनरिया हम तो ओढ़े हैं,
चारो तरफ जिनका धाम है, 
कान्हा-कान्हा-कान्हा
कान्हा जिनका नाम है। 
– ममता सिंह राठौर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
 

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