मधुमासी मुक्तक - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Fri, 3 Mar 2023

हर दिशा में पुष्प खिलकर नव छटा बिखरा रहे।
तान छेड़ें भ्रमर गण मधुमास के गुण गया रहे।
पी रहीं मकरंद चहुँ दिशि पेट भर मधुमक्खियाँ,
तितलियों के झुंड भी हर फूल पर मँडरा रहे।
पर्ण नव हर वृक्ष पर सोहें सदा मधुमास में।
छेड़तीं पिक तान मधुरम पिय मिलन की आस में।
प्रीति में व्याकुल पपीहा नित्य पिहु-पिहु कर रहा,
हिय उमंगें उठ रहीं मन झूमता उल्लास में।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश