मधुमासी मुक्तक - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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पर्ण नूतन मन लुभाते हर बरस मधुमास में।
गान सुंदर लोग गाते हर बरस मधुमास में।
सुर मिलातीं गाय-बैलों के गलों की घण्टियाँ,
सर्व जन उत्सव मनाते हर बरस मधुमास में।

प्रेम से सब दिन बिताते हर बरस मधुमास में।
सुप्त भावों को जगाते हर बरस मधुमास में।
हर कलुष मन के सभी जन दूर करते यत्न से,
जोड़ते सब भंग नाते हर बरस मधुमास में।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तरा प्रदेश
 

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