ममता की साक्षात मूरत माँ - कालिका प्रसाद
मेरे घर परिवार की,
प्यारा सा एहसास मेरी माँ।
मन की बहुत निर्मल है,
स्वर्ग समान सुख मेरी माँ।
अखंड ज्योति प्रकाश सी,
उल्लसित करती मेरी माँ।
घर के कोने कोने में मधुर ध्वनि,
आनन्द से भर मेरी माँ।
स्नेह के सागर की गहराई सी,
अंक में भर लेती मेरी माँ।
बहुत भोली भाली है माँ,
मेरे लिए चारों धाम है मेरी माँ।
ममता की साक्षात मूरत सी,
तुझमें जादू समाया है माँ।
अपने दुःख को छिपाकर रखती
आशीष का खजाना मेरी माँ।
हमारे लिए कष्टों को झेला,
अपना सुख चैन लूटाये मेरी माँ।
जीवन के जटिल प्रश्नों की गुत्थी,
सहज सुलझा देती मेरी माँ।
इनकी शख्सियत कुछ अजूबा सी,
एक साथ कई कर्म करती मेरी माँ।
तुझसा कोई नहीं इस जग में,
नित याद आती है मेरी माँ ।
माँ ने मेरे लिये अनेक कष्ट सहे,
जन्म -जन्म तक ऋणी रहूगां।
तेरे उपकार को कभी न भूलूगां,
नित तेरा गुणगान करता हूं मेरी माँ।
- कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड