मनहरण घनाक्षरी - कमल धमीजा

 
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जीने के बहाने यहाँ , मौसम सुहाने यहाँ,
छोड़ अपने देश को, कहीं मत जाइए।

माटी की सुगंध जहाँ, ऐसी है महक कहां,
चूमकर धरती को, तिलक लगाइए।

भाषाओं के कई रंग, घूमते हैं संग- संग,
प्यारे भारत देश का,  सम्मान बढ़ाइए।

भारत महान है ये, मेरी पहचान है ये, 
जाके पूरे जगत को, शान से बताइए।
- कमल धमीजा, फरीदाबाद हरियाणा
 

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