मनहर घनाक्षरी - मधु शुक्ला

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मृदु बोल आचार से, ही बढ़ती प्रगाढ़ता,
बात रहे याद यदि, खुशी घर आयेगी ।

स्वार्थ, लोभ, क्रोध अति, सुख के हैं शत्रु सब,
इन्हें  तजें  हम  तब, समृद्धि  आ  पायेगी ।

सकल सुजान यह, बात समझाते हमें,
एकता का वास वहाँ, उदासी न छायेगी ।

वक्त, प्रेम, सहयोग, का प्रयोग करें यदि,
सूझबूझ द्वारा हर, बात बन जायेगी ।
— मधु शुक्ला . सतना , मध्यप्रदेश
 

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