मनहर घनाक्षरी - मधु शुक्ला
Thu, 2 Mar 2023

मृदु बोल आचार से, ही बढ़ती प्रगाढ़ता,
बात रहे याद यदि, खुशी घर आयेगी ।
स्वार्थ, लोभ, क्रोध अति, सुख के हैं शत्रु सब,
इन्हें तजें हम तब, समृद्धि आ पायेगी ।
सकल सुजान यह, बात समझाते हमें,
एकता का वास वहाँ, उदासी न छायेगी ।
वक्त, प्रेम, सहयोग, का प्रयोग करें यदि,
सूझबूझ द्वारा हर, बात बन जायेगी ।
— मधु शुक्ला . सतना , मध्यप्रदेश