सबके पास उजाले हो - प्रियंका सौरभ

 
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मानवता का संदेश फैलाते,  
मस्जिद और शिवाले हो।  
नीर प्रेम का भरा हो सब में,  
ऐसे सब के प्याले हो।।

होली जैसे रंग हो बिखरे,  
दीपों की बारात सजी हो,  
अंधियारे का नाम न हो,  
सबके पास उजाले हो।।

हो श्रद्धा और विश्वास सभी में,  
नैतिक मूल्य पाले हो।  
संस्कृति का करे सब पूजन,  
संस्कारों के रखवाले हो।।

चौराहें न लुटे अस्मत,  
दु:शासन न फिर बढ़ पाए,  
भूख, गरीबी, आतंक मिटे,  
न देश में धंधे काले हो।।

सच्चाई को मिले आजादी,  
लगे झूठ पर ताले हो।  
तन को कपड़ा, सिर को साया,  
सबके पास निवाले हो।।

दर्द किसी को छू न पाए,  
न किसी आंख से आंसू आए,  
झोंपड़ियों के आंगन में भी,  
खुशियों की फैली डाले हो।।

‘जिए और जीने दे’ सब  
न चलते बरछी भाले हो।  
हर दिल में हो भाईचारा  
नाग न पलते काले हो।।

नगमों-सा हो जाए जीवन,  
फूलों से भर जाए आंगन,  
सुख ही सुख मिले सभी को,  
एक दूजे को संभाले हो।।
-- प्रियंका सौरभ  उब्बा भवन, 
आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)
-127045 (मो.) 7015375570 
 

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