मेरी कलम से - मीनू कौशिक "तेजस्विनी"

 
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सबने  कहा  नया  साल  आया  है !
हमने  पूछा....मुश्किलों  का  हल  लाया  है ??
तो  बोला ....हौंसला  लाया  हूँ ,
जिससे  हर  तूफान  थर्राया  है ।
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कैलेंडर  के  बदलने  से , भला  क्या  हाल  बदलेगा,
जड़ों  से  टूटकर कब  तक , वृक्ष  की डाल बदलेगा ।
ग्रहों  की  चाल  से हरगिज़ , न बदलेगा मुकद्दर सुन,
तभी बदलेगी किस्मत जब , तू अपनी चाल बदलेगा ।
-  मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली

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