मेघ हठीले - डा० क्षमा कौशिक
Aug 26, 2023, 22:59 IST
मेघ हठीले अब जिद छोड़ो
थम भी जाओ,
बहुत हुआ गर्जन तर्जन अब
मत गहराओ।
भीग गया धरती का अंतर भीगे
अंग प्रत्यंग,
थम भी जाओ मत इतराओ
ओ रे मेघ मलंग!
काहे को तुम रोष दिखाते
क्या है मन में ठानी,
जाओ न,अब उत बरसो
जित सूखी है धानी ।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड