मेघ सन्देश - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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बादल के परिधान में, छिपे अनेकों दृश्य।
अंकित यूँ मन में हुए, होते नहीं अदृश्य।
होते नहीं अदृश्य, बिंब दिन रात बदलते।
करके उनको याद, हृदय में भाव मचलते।
करते घोर निनाद, इंद्र के ये सेनादल।
करते शमन विषाद, सँदेशा लाकर बादल।।

जब भी दिखते मेघ दल, जगती नूतन आस।
खेतों को पानी मिले, उपजे मन विश्वास।
उपजे मन विश्वास, कृषक आनन्दित होते।
ये पल होते खास, धान खेतों में बोते।
बनते सफल सुयोग, न आते बादल तब भी।
करते श्रम सब लोग, बारिशें आती जब भी।

वारिद भर-भर ला रहे, भारत भर में नीर।
घटती जाती नित तपन, धरा धर रही धीर। 
धरा धर रही धीर, पुनः अब दिन बहुरेंगे।
मिटे सभी की पीर, अन्न भंडार भरेंगे।
जन-जन हो खुशहाल, मिटेंगे सब दुख-दारिद।
हो महि मालामाल, बारिशें लाते वारिद।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
 

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