मोबाइल (बाल कविता) - रंजन कुमार शर्मा 'रंजन’
Jun 23, 2024, 22:47 IST
बड़े काम का यह मोबाइल,
सबको निकट बुलाता है।
मामा, ताऊ, पापा, मम्मी,
सबको बहुत सुहाता है।
लद गए दिन चिट्ठियों के,
टेलीग्राम हुआ सपना।
नई सदी के प्रगतिपथ पर,
सबका साथ निभाता है।
दूरियों की मिट गई सीमा,
लंदन, पेरिस हुए पड़ोसी।
मोबाइल की बजते ही घंटी,
चेहरा सबका खिल जाता है।
जड़ता की सीमा लांघकर,
हम सब हुए मोबाइल।
वर्षा, आंधी, जाड़ा, गर्मी,
यह कभी नहीं घबराता है।
- रंजन कुमार शर्मा 'रंजन’ (विभूति फीचर्स)