माँ - ऋतु गुलाटी

 
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जन्नत देती मेरी माँ है।
हँसती गाती मेरी माँ है

संग रही तू हर दुख मे माँ।
सहे जुदाई मेरी माँ है।

भोली सी लगती है मुझको
सिमटी सिमटी मेरी  माँ है।

तुम बिन सूना आँगन मेरा।
चाँद सी गोरी मेरी माँ है

प्यार लुटाती हरदम मुझ पर।
दुनिया सारी मेरी माँ है।

दर्द को समझे बिन बोले माँ।
हाल जानती मेरी माँ है।

तड़फ रही हूँ माँ बिन तेरे।
बनी निराली मेरी माँ है।

छोड़ चली क्यो इहलोक को।
याद सदा तू मेरी माँ है।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब 
 

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